Don't Let Your Thoughts Determine Your Limits.
Unless a person distinguishes between himself and his ideas, opposition to his ideas will hurt him and give rise to a conflict or hostility between him and the aggressor.
Our thoughts are like our clothes. When our clothes are torn, worn
out, dirty, or tight or loose we should throw them off. But if they fit us well, we
should not care what others opine about them.
We are not our clothes. Our clothes are not our identity. We have
changed our clothes many a time in the past. There is no harm in changing them
once more if they bring greater harmony to our lives.
Thoughts are just a means of expression. They are not us. As we
change, so do our thoughts. Don't stick to your thoughts. Don't let your thoughts
define your limits.
जब कोई व्यक्ति अपने आप और अपने विचारों के मध्य भेद नहीं करता, तब उसके विचारों का विरोध उसे आहत करता है और कभी-कभार उसका वैचारिक विरोध करने वाले उसका शत्रु बन जाता है।
हमारे विचार हमारे वस्त्रों के समान हैं। अगर हमारे वस्त्र फट गए हैं, घिस गए हैं, गंदे हो गए हैं, तंग होगे हैं, अथवा ढीले हो गए हैं, तो हमें उन्हें उतार फेंकना चाहिए। परन्तु यदि हमारे वस्त्र हमें ठीक लग रहे हैं, तो इस बात की चिंता किये बिना कि दूसरे उनके बारे में क्या कह रहे हैं हमें उन्हें धारण किए रहना चाहिए।
हम हमारे वस्त्र नहीं हैं; हमारे वस्त्र हमारी पहचान नहीं हैं। भूतकाल में हमने कई बार अपने वस्त्र बदले हैं। अब यदि उनके बदलने से हमारा जीवन और अधिक सामंजस्यपूर्ण हो रहा है तो उन्हें एक बार पुन: बदलने में कोई बुराई नहीं है।
विचार अभिव्यक्ति का साधन मात्र हैं। वे हम नहीं हैं। जैसे-जैसे हम बदलते हैं वैसे-वैसे हमारे विचार भी बदलते हैं, उन्हें बदलना ही चाहिये। अपने विचारों से चिपके न रहें। अपने विचारों को अपनी सीमाएं निर्धारित न करने दें।