दिनांक - २५/०५/२०२३
स्वर्ग की देवी; मेरा जीवन तेरा स्पंदन
तन सुन्दर, मन निर्मल, हृदय प्रेम का सागर है।
होंटों पर
मुस्कान सदा औ' मुख पर दिव्य आकर्षण है।
थिरकते पग,
स्वप्निल नेत्र,
अँगुलियों में जादू है।
प्राण निवेदित, मन प्रकाशित, चैत्य लिए शुभ्र आभा है।
स्वर्ग की देवी, धरा से जन्मी, आगे मेरे, मेरे पीछे,
साथ चले और सदा प्रेम
का घेरा है।
आगे बढ़ता, ऊपर उठता, पोषित होता मेरा जीवन;
हर्षित करता, पोषित
करता, आधार है मेरा तेरा स्पंदन।
# पत्नी के जन्मदिन पर उसको समर्पित एक कविता