Saturday 6 November 2021

Truth of Our Life and Key to Happiness

 Date: 04/11/2021 08:15   दीपावली की दीप्तमान प्रात:  

“जीवन का सार और आनंद की कुंजी”

1.    इस जगत् में प्रत्येक मनुष्य, वह जो कुछ भी कर रहा हो, जाने-अनजाने वह केवल अपने अंतर में स्थित भगवान् को ही ढूँढ रहा है

2.    और जब तक हम अपने अंतर में स्थित भगवान् को नहीं पा लेते हमें स्थायी विश्राम और आनंद नहीं मिल सकता

3.    संभव है कि हम इस सत्य से अनजान और कामनाओं वश अहम द्वारा पोषित किसी मार्ग पर चलते हुए हम एक लंबे समय तक सफलताओं और सु:खों को भोगते रहें परन्तु यह सौभाग्य हमसे कब छीन लिया जाएगा कोई नहीं कह सकता| प्रकृति में गोपित भागवत शक्ति जब हमारा मार्ग बदलना चाहेगी, बदल देगी

4.     वैसे भी हम जिस किसी (वस्तु अथवा मनुष्य) के पीछे भी भाग रहे हैं वह आज नहीं तो कल हम से छीन ही ली जाएगी - हमारा धन, मान-सम्मान, हमारे संबंध, इत्यादि सभी कुछ एक दिन छूट जाएंगे।

5.     जीवन का एक और कटु सत्य है कि - इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो हमें देख रहा है| हम जो कुछ भी कर रहे हैं वह सब अपने भ्रम के कारण कर रहे हैं - किसी को हमारी आवश्यकता नहीं है। हम व्यर्थ ही अपने लिए एक अजीबो-गरीब लक्ष्य बनाकर सारा जीवन उसके पीछे भागते रहते हैं और कभी सु:ख और कभी दु:खी भोगते हैं।

6.     यदि हम चाहें तो अंतर स्थित भगवान को ढूंढने के लिए एक सीधा मार्ग भी अपना सकते हैं – यह आवश्यक नहीं कि हम इधर-उधर भटकते रहें और एक लम्बे और संघर्षपूर्ण मार्ग से होते हुए उसकी ओर बढ़ें | वह मार्ग है मानव-जाति के विकास के लिए कार्य करना, अर्थात् मनुष्य-जाति में स्थित भगवान् की अराधना करना | यही एक ऐसा मार्ग है जो सबसे सरल, सबसे सुगम जो हमें सबसे शीघ्र अपने लक्ष्य की ओर ले जा सकता है और साथ ही हमें असीमित, और अद्वितीय आनंद देता है|  (ध्यान दें - मैंने मनुष्य के कष्टों में उसकी सहायता के लिए नहीं कह रहा हूँ | मैं उसके विकास के लिए कह रहा हूँ, उसके अध्यात्मिक विकास के लिए, अर्थात् उसे उसके सत्य को जानने में और उस सत्य को अभिव्यक्त करने में उसकी सहायता करने के लिए कह रहा हूँ | एक ऐसे जीवन की व्यवस्था के लिए कह रहा हूँ जो इस वासुदेव: सर्वं इति (गीता  ७/१९, 7/19) के सत्य  पर आधारित हो )

7.    यदि हम स्व प्रेरणा से मानवमात्र की सेवा के मार्ग पर चलते हुए भगवान् की और बढेंगे तो न केवल भगवान् सदा हमारे साथ रहेंगे अपितु वे हमें निरंतर अपनी बाहों में लिए रहेंगे – योगक्षेमं वहाम्यहम् (गीता 9/22) |

8.    अन्यथा प्रकृति और नियति तो हमें अपनी गति से भगवान् की ओर ले ही जा रही है | चुनाव हमें करना है हम अहंकार के मार्ग पर बढ़ेंगे अथवा प्रेम के | 


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Tuesday 4 May 2021

Death - A Riddle of Life

 

(Thoughts: 1991-92)


Death - A Riddle of Life

  • ‘Death’ is a ‘cypher’ that multiples all our achievements to a ‘Naught’. Nothing in this world can be appropriated any meaning unless we find the value of ‘Death’.
  • ‘Death’ is the ultimate equalizer. All our life, we devote ourselves to chiselling out a unique icon for ourselves. ‘Death’ shatters all such unique icons into identical and unidentifiable pieces. And no icon escapes the blows of death. 

      Therefore, understanding ‘Death’ is the first riddle of this life.


Death - A Blessing in Disguise

Death is a pause to assimilate the experiences of this life. 

It is autumn to shed our prejudices and compulsions. 

It is a junction to change our path to venture into new realms of life. 

It is nature’s way to renew and reorient our life.

In truth, it is a blessing in disguise.

Saturday 20 March 2021

A Birthday Wish


A Birthday Wish

 

Far from the struggling world,
Beyond the dreams of harmony and happiness,
Free from the will and efforts of life,
There is I, within, unknown to us.
May this day you stop a while;
Turn inward in silence towards that light,-
Immutable, eternal, it waits there for us in a sea of bliss.